जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Sunday, June 9, 2013
मजमा-ए-तबस्सुम
ए मल्लिका-ए-हुस्न ज़रा इधर भी करम करना,
है मेरी एक अर्ज़ .. ज़रा मुझ पर भी करम करना!
चुरा ले ना कोई, मनचला यूं ही,
तुम रूप को अपने ... पर्दों में छुपाये रखना!
देखेगा तुम्हे जो भी, रखेगा हसरत दिल में,
तू जब कभी बाहर निकले, तो आँचल संभाले रखना!
है रोशन तुझ ही से तो .. बस्ती हम दिलवालों की,
तुम जब कभी भी बाहर जाना, काला टीका लगाए रखना!
सुनो मेरी बात... तुम जानती नहीं, इस दुनिया की चोर नज़रों को,
तुम अपनी चाँदनी को इनकी चोर नीयत से बचाए रखना!
आशिक हूँ, कोई चोर नहीं... सो बस यहीं कहता हूँ,
हो सके तो मेरे दिल का भी ज़रा एहतियात रखना!
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मल्लिका-ए-हुस्न - Beauty Queen
ReplyDeleteअर्ज़ - Request
पर्दों - Curtains
हसरत - Desire
चाँदनी - Moon Light
एहतियात - Take Care