Tuesday, December 11, 2012

दुल्हन





एक ज़िन्दगी, पाती कुछ ख़ास सी,
वो लम्हा, वो खोती कुछ एहसास सी!

ज़िन्दगी देने वालो ने जिसे एक अमानत माना,
उस अमानत का फ़र्ज़ .. चली अता करने, वो एक ताबीर सी!

पुराने रिश्ते, पुराने घर की कुछ यादें, जो दिल में बसी हैं,
लेकर उन्हें चल पड़ी .. बनाने नयी कहानी, वो एक किताब सी!

उन पुराने रिश्तो से गले लगकर, और कुछ चावल बांटकर,
लेकर विदा.. चली वो नए घर.. एक तराशे हुए बुत सी!

नयी हवा, नए माहौल में खुद-ब-खुद उसे ढलना था,
बिताती वो आज ज़िन्दगी, जैसे दूध में घुली चीनी सी!

2 comments:

  1. ज़िन्दगी - Life
    लम्हा - Moment
    अमानत - Other's Belonging
    ताबीर - Interpretation of Dreams
    रिश्ते - Relations
    बुत - Idol
    माहौल - Enviornment

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  2. Wah bhai wah .......... superb, lagta hai tumhari shaadi ka waqt kareeb aagaya hai :)
    -Abdul

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