Friday, November 9, 2012

सबक






भूल को भुलाने से भुलावा छलावा बन जाता हैं,
मिले जो सबक भूलो से, उसे आगे बढाते जाओ!

बादलो का क्या, कभी घिरते ... तो कभी बरस कर भी चले जाते हैं,
पर याद रखना कि जो गरजते है, उन बादलो से अपनी नज़र हटाओ!

नज़रिए की नज़र से नहीं, नज़र के नज़रिए से बात बनती हैं,
हो सके तो अपनी नज़र में दूसरो की नज़र लाओ!

कभी आंसू, कभी ख़ुशी, कभी चोट तो कभी मरहम मिला,
किस से क्या मिला, ये ना सोच.. बस कदम बढ़ाते जाओ!

2 comments:

  1. भुलावा - Mistakes/Ignorence
    छलावा - Things which disguises you.
    बादलो - Clouds
    नज़रिए - Point of view
    मरहम - Ointment
    कदम - Steps

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  2. Super.. beaten up the last best one.. Amazing.. really loved it!!!

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