Sunday, September 4, 2011

तेरी इनायत



अधूरे ख़्वाबों के शहर में, एक वो ख्वाब याद हैं,
चूर हुए आईने में भी .. एक तनहा अक्स... आबाद हैं!

ज़ख़्म तो बस एक ही था, मेरे मन पर,
शायद यही मेरे हर, बिखरे सवाल का जवाब हैं!

आंसू, तन्हाई... और शिकवे.. सब ही हैं मेरे पास,
तेरी हैं ये यादें हैं, ये मेरे तोहफे नायाब हैं!

ख़ुशी तेरी हंसी की, नमक तेरे गमो का,
वो तेरा सुरूर है.. जो बनाता मुझे लाजवाब हैं!

ढूँढू जो मैं खुद को, तो एक साया पाता हूँ,
जितना हूँ मैं खोता.... उतना... बढता तेरा शबाब हैं!

ज़िन्दगी की धूप में,तेरा आना.. एक पनाह की तरह,
अब और क्या उस से मांगू... तू मेरा सबसे बड़ा सबाब हैं!

2 comments:

  1. ढूँढू जो मैं खुद को, तो एक साया पाता हूँ,
    जितना हूँ मैं खोता.... उतना... बढता तेरा शबाब हैं!

    बहुत खूबसूरत गज़ल

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  2. ख़्वाबों Dreams
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    बिखरे Scattered
    सवाल Question
    शिकवे Issues/Problems
    तोहफे Gifts
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    लाजवाब Uncomparable
    शबाब Beauty
    पनाह Shelter
    सबाब Virtue, Holy

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