Sunday, July 4, 2010

तेरा इश्क ही मेरी पहचान है...मैं इसे छुपाऊ कैसे???


तेरी खुश्बू को अपनी साँसों से मिटाऊ कैसे,
यादो के साहिल से तेरी तस्वीर की रेत हटाऊ कैसे?

वैसे तो दोस्त अब भी हाल-ए-दिल पूछते है,
उनको मैं अपना दर्द-ए-दिल, ये दिखाऊ कैसे?

कहते है मय भुला देती है, सारे ही गम..
मैं पैमानों में नाचती, तेरी मुस्कान को भुलाऊ कैसे?

लोग कहते है इश्क देता है सिर्फ़ गम, ना कि खुशी किसी को,
मैं इन नादानों को, अपनी अन्दर की कश-म-कश दिखाऊ कैसे?

तेरी आवाज़ को मैं अब भी, अपनी तन्हाई में संग पाता हूँ,
अपनी इस खामोश मुफलिसी को, खुद ही से छुपाऊ कैसे?

1 comment:

  1. मय - Liquor
    कश-म-कश - Confusion
    मुफलिसी - emptiness

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