Wednesday, March 24, 2010

आपको........भूलू कैसे????


उस शब्--फ़िराक को मैं भुलाऊ कैसे?
तेरे दूर जाते साए का...मुझे अलविदा कहना भूलू कैसे?

लोग तो अपने मोहसिनो पे एहसान करते हुए जाते है...
आप दे गए मुझे जो यादें, उनके जज़्बात किसी को दिखाऊ कैसे?

हमने इश्क किया है, दिल्लगी नहीं आपसे
इस दिल की धड़कन में है जो नाम, वो आपको सुनाऊ कैसे?

इश्क से ज्यादा, हमने चाही आपकी खैर, आपकी बुलंदी चाही है..
इसके लिए ढाये जो खुद पे सितम ..उन्हे आप से छुपाऊ कैसे?

कहती है ये दुनिया पागल, करती है रुसवा तेरे नाम से..
इन काफिरों के इस एहसान का शुक्रिया अदा करू कैसे??

1 comment:

  1. शब्-ए-फ़िराक - night of seperation
    जज़्बात - emotions
    सितम - torture
    रुसवा - defame
    काफिरों - one who dont beleive in anything

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