Friday, December 25, 2009

तेरी याद में


अब अपनी लरसती आँखों से खुद के अधूरे ख्वाब देखता हूँ मैं,
जो छूट गयी पीछे खुशिया, उनके पीछे छूटते सायो को देखता हूँ मैं.....

अपनी धड़कन तेरे कानो तक पहुचाने के लिए,
कभी कभी सांस लेना छोड़कर, तेरा नाम लेता हूँ मैं.....

उस रात की यादो में ढूँढ़ता
हूँ मैं तुझे.
अब, हर समय....सिर्फ तुझे..... बस तुझे ही याद करता हूँ मैं......

कहने को तो सांस लेता, हंसता दिखता ..
हूँ मैं अब,
पर अन्दर से तेरे बिछडने का, एक गहरा ज़ख्म छुपायें बैठा हूँ मैं.....

जब लेते है लोग तेरा नाम, मेरे नाम के साथ,
तुझे रुसवाई से बचाने के लिए, अपनी ख़ुशी छुपा लेता हूँ मैं.......

अब अपनी लरसती आँखों से खुद के अधूरे ख्वाब देखता हूँ मैं,
जो छूट गयी पीछे खुशिया, उनके पीछे छूटते सायो को देखता हूँ मैं.....

1 comment:

  1. लरसती - saddy
    ज़ख्म - old wound
    रुसवाई - bad name

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